Ranchi : इटकी रोड स्थित जसलोक अस्पताल के डॉक्टर जितेंद्र सिन्हा का अभिमत है कि बार-बार पेशाब लगने को नौकचुरिया कहते है।इससे इलेक्ट्रोलाइट की कमी और शरीर कमजोर हो जाता है।बार बार पेशाब लगने के पीछे कौन-कौन सी बिमारी होती हैं।मर्दों में सन्तान उत्पति करने वाली ग्रंथि ( प्रोस्टेट) का आकार प्रायः ६० वर्ष पार करते ही बढ़ने लगता है । बढ़ा हुआ प्रोस्टेट पेशाब के रास्ते में रूकावट पैदा करता है। जिससे बार बार पेशाब लगता है। पेशाब की धार बिल्कुल पतली या बूंद बूंद जैसी हो जाती है।किडनी में पथरी या पेशाब की नली में पत्थरी हो जाने पर भी बार बार पेशाब आता है। यूरिन इन्फेक्शन का महिलाओं से चोली दामन का साथ होता है। इस बिमारी में भी अधिक पेशाब होता है। डायबिटीज में शुगर बढ़ा जाने पर बार-बार पेशाब होगा। पेशाब के द्धारा शरीर अधिक शुगर को बाहर करता है।
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गर्भावस्था मे प्रेगनेंसी हॉर्मोन्स (HcG और प्रोजेस्ट्रोन)अधिक बनते हैं जिससे अधिक बार पेशाब होता है।गर्भावस्था में पल रहा शिशु जगह बनाने के लिए पेशाब की थैली को ढकेलता है। जिसके कारण पेशाब थैली सिकुड़ जाती है और पेशाब जमा नहीं हो पाता है। प्रौढ औरतों को जल्दी-जल्दी और बहुत तेज पेशाब लगता है ।ऐसा महावारी बन्द होने के कारण हार्मोन की कमी के बाद पेशाब की थैली सिकुड़ जाने (ओएबी)से होता है।
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ऐसे में दस मिनट भी पेशाब रोकना मुश्किल हो जाता है।कुछ ऐसी स्थितियां भी होती है जब बार बार पेशाब कराना चिकित्सक के लिए आवश्यक हो जाता है। शुुुगर की सबसे तेज दवा इम्पागिलिफिजोन और रेमोगिलिफिजोन बार बार पेशाब के माध्यम से शुगर कम करता है।बीपी कन्ट्रोल करने वाली लगभग दवाएं बार -बार पेशाब के सहारे बीपी को घटाती है।
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